संयुक्त राष्ट्र में ईरान के स्थायी प्रतिनिधि अमीर सईद इरवानी ने पश्चिम एशिया की स्थिति को बेहद चिंताजनक बताया है। उन्होंने कहा कि यह पूरा संकट बाहरी ताकतों की सैन्य दखल और हस्तक्षेपकारी नीतियों का नतीजा है।
संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करते हुए इरवानी ने कहा कि कई देशों ने गज़्ज़ा में चल रही नरसंहार जैसी कार्रवाई को रोकने और एकतरफा कदमों को समाप्त करने के लिए तत्काल वैश्विक हस्तक्षेप की मांग की है।
उन्होंने कहा कि विकास अकेलेपन और अस्थिरता में नहीं हो सकता — इसके लिए सहयोग, एकजुटता और संसाधनों तक न्यायपूर्ण पहुंच ज़रूरी है। लेकिन विकसित देशों द्वारा आर्थिक मदद और पर्यावरण तकनीक में बाधाएं डालना, वैश्विक विकास प्रयासों को नुकसान पहुंचा रहा है।
इरवानी ने कहा कि मध्य पूर्व की मौजूदा स्थिति, विदेशी हस्तक्षेप, सैन्य नीतियों, इस्राईल के कब्ज़े और नरसंहार का सीधा नतीजा है। उन्होंने चेताया कि एकतरफा प्रतिबंधों से स्थिति और बदतर हो रही है — जिससे मानवाधिकारों का उल्लंघन, व्यापार और निवेश में रुकावट और देशों की संप्रभुता को नुकसान हो रहा है।
उन्होंने याद दिलाया कि 13 जून 2025 को इस्राईल ने अमेरिका की मदद से ईरान पर बड़ा हमला किया और 22 जून को ईरान की शांतिपूर्ण परमाणु सुविधाओं पर अवैध हमले किए, जो अंतरराष्ट्रीय कानून और संयुक्त राष्ट्र चार्टर का खुला उल्लंघन हैं। इन हमलों में अस्पतालों, मीडिया संस्थानों और नागरिक इलाकों को निशाना बनाया गया।
इरवानी ने कहा कि इन हमलों से न सिर्फ अंतरराष्ट्रीय कानून तोड़ा गया, बल्कि जहरीले और रेडियोधर्मी पदार्थों के रिसाव से इंसानों की सेहत और पर्यावरण पर गंभीर खतरा पैदा हुआ है।
उन्होंने कहा कि ऐसे कदम विश्वास और सहयोग को कमजोर करते हैं, इसलिए इन्हें तुरंत रोका जाए और सख्ती से निंदा की जाए ताकि वैश्विक शांति और पर्यावरण की रक्षा की जा सके।
इरवानी ने अंत में कहा कि “आज दुनिया के सामने सबसे बड़ा खतरा एकतरफा नीतियां हैं। हमें विभाजन नहीं, बल्कि वास्तविक सहयोग, एकजुटता और संयुक्त राष्ट्र की अगुवाई में साझा कार्रवाई की ज़रूरत है।”
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